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अक्ज़्नोबेल इंडिया ने गुरुग्राम के सरकारी स्कूल के बच्चों को नए साल का तोहफा दिया

प्रमुख वैश्विक पेंट और कोटिंग्स कंपनी और डल्क्स के निर्माता अक्ज्नोबेल इंडिया ने सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी ...

प्रमुख वैश्विक पेंट और कोटिंग्स कंपनी और डल्क्स के निर्माता अक्ज्नोबेल इंडिया ने सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल), नाथूपुर, गुरुग्राम को पुनः रंगा गया। यह कंपनी के “लेटस कलर” कार्यक्रम के स्वरूप किया गया ।

छात्रों के बेहतर विकास के लिए, अनुकूल वातावरण की रचना की गई जिसके लिए अक्ज्नोबेल इंडिया (AkzoNobel India) ने  रंग विशेषज्ञों से परामर्श के उपरांत अपनी Dulux रेंज से पेंट प्रदान किया। अक्ज्नोबेल पेंट एकेडमी के पेशेवर चित्रकारों और अक्ज्नोबेल इंडिया स्टॉफ ने स्कूल को पेंट किया।

सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार इमारत के रंगों का चयन किया गया था। खंभों पर इस्तेमाल किए गए ज्वलंत रंग स्कूल को एक हंसमुख रूप देते हैं। शोकेस की दीवार पर ‘‘डेव लोवेनस्टीन‘‘ की मूल रचना से प्रेरित एक भित्ति चित्र में वनस्पतियों, जीवों और मनुष्यों के निवास के बीच सहसंबंध और अन्योन्याश्रयता को दर्शाया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाए रखना आवश्यक है कि पशु साम्राज्य के साथ-साथ हरे रंग का आवरण भी फलता-फूलता रहे और हमारी भावी पीढ़ी इस खूबसूरत दुनिया से वंचित न रहे।

अकाज्नोबेल इंडिया के प्रबंध निदेशक राजीव राजगोपाल ने कहाः “हमें अपने रंग और डिजाइन के ज्ञान पर गर्व है। इसलिए, हम जानते हैं कि छात्रों और शिक्षकों में सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए स्कूलों में रंग कैसे सही वातावरण बनाते है। हम रंग से परिवर्तन लाने की शक्ति में विश्वास करते हैं और आशा करते हैं कि इस विद्यालय के छात्र रंगों के फलस्वरूप बेहतर अध्ययन के लिए प्रेरित होंगे।”

गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नाथूपुर, गुरुग्राम का भवन लगभग 40 साल पहले बनाया गया था और एक दशक पहले आखिरी बार इसे पेंट किया गया था । समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 1200 बच्चे 6  12 कक्षा  में यहां पढ़ते हैं।

लेटस कलर प्रोग्राम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पेंट की शक्ति का उपयोग करता है। लगभग 23 देशों की परियोजनाओं को वैश्विक स्तर पर पूरा किया गया है, जिसमें 12,000 से अधिक स्वयंसेवक और 1.3 मिलियन लीटर पेंट शामिल हैं, जो 46 देशों में 81 मिलियन से अधिक के जीवन को छू रहा है।

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